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निकुंज डॉ. कुलवंत सिंह द्वारा रचित हिंदी कविताओं का संग्रह है।
निकुंज कविताओं का एक समृद्ध और भावपूर्ण संग्रह है जो मानवीय अनुभवों के विस्तृत दायरे से होकर गुज़रता है। प्रत्येक कविता एक अनूठे विषय को समेटे हुए है—प्रकृति, प्रेम और लालसा से लेकर देशभक्ति, बचपन की मासूमियत, दार्शनिक चिंतन और सामाजिक समरसता तक।
यह संग्रह विचारों और भावनाओं की विविधता का उत्सव मनाता है, काव्यात्मक गहराई के साथ जीवंत कल्पनाओं को बुनता है। शांत आत्मनिरीक्षण से लेकर आनंद के क्षणों तक, एक खिलते हुए बगीचे की खुशबू से लेकर एक क्रांतिकारी भावना की ज्वाला तक—ये कविताएँ पाठकों को रुकने, चिंतन करने और अपने आसपास की दुनिया से फिर से जुड़ने के लिए आमंत्रित करती हैं।
चाहे एकांत में पढ़ा जाए या ज़ोर से सुना जाए, "कई मनःस्थितियों की गूँज" एक ऐसी काव्यात्मक ताना-बाना प्रस्तुत करती है जो सभी उम्र के पाठकों के साथ प्रतिध्वनित होती है। यह उन कालातीत सत्यों और क्षणभंगुर क्षणों की एक भावपूर्ण अभिव्यक्ति है जो हमारे जीवन को परिभाषित करते हैं। A poem from this collection
अपनापन
एक छोटी सी मुस्कुराहट
भी दिल जीत लेती है।
मुस्कुरा कर तो देखो !
वार्तालाप एक अजनबी को
भी अपना बना देती है।
बात कर के तो देखो !
बड़ा बन माफ करने से
दूरियां मिट जाती हैं।
माफ कर के तो देखो !
गिले–शिकवे भुलाने से
प्यार ही पनपना है।
गले लगा के तो देखो !
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