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डॉ सैम बंसल का प्रस्तुत कविता संग्रह भौतिक जगत में 'अनुभूति' एवं 'प्रेम' की अवधारणा को कविता के माध्यम से पुनः स्थापित करता है.जीवन की आपाधापी में जो प्रेम बहुत पीछे छूट गया था, उसे पुनः संजोने की एक सार्थक कोशिश इस संकलन में निहित है. स्वयं लेखक का यह मानना है की जीवन संजोने और आजीविका की दौड़ में हम मंजिलें तो पा लेते हैं पर प्रेम का अंकुर पल्लवन के लिए तृषित ही रहता है. ऐसे मैं इन कविताओं में हम अपने प्रेम के अंकुर को शब्दों के माध्यम से पल्लवित-पुष्पित होते देख पाते हैं. सभी रचनाओं में लेखक की नवीन द्रष्टि और प्रेम की गहराई का परिचय मिलता है. छायावाद जैसी कोमलकांत पदावली और प्रकृति का आलंबन उनकी रचनाओं की विशिष्टता है. 'बैठ प्यार के पंखो पर' निश्चय ही सुधी पाठकों को एक नवीन भावबोध के संसार से परिचित करवाएगी. मन के किसी कोने में प्यार...
For many years I have had the privilege of hearing Dr Satyan “Sam” Bansal recite his own poems at social gatherings. That is, of course, the best, the headiest rendering...
Hi Satyan,
I am so happy that finally all has fallen into place and your book is published for many to see, read and enjoy your creation.
It was a huge project....
Re: baith pyar ke pankhon par (e-book)
एक "कल रात मैं कितना रोया"
कविता मैंने " बैठ प्यार के पंखों " वाली कविता संग्रह में से पढ़ीं. मुझे लगा की मेरे जीवन में एक बार मैंने जो कुछ...