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डॉ. श्रीमती तारा सिंह, स्वर्गविभा हिंदी वेबसाईट (www.swargvibha.com) एवं स्वर्गविभा ऑन लाइन पत्रिका की प्रधान संपादिका व प्रशासक ,36 पुस्तकों की रचयिता तथा देश-विदेश से 253 सम्मान/मानदोपाधि/पुरस्कार प्राप्त लेखिका (साहित्यकार) हैं | बचपन से ही प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सादगी सदा इन्हें अपनी ओर आकर्षित करती रहीं हैं | इनका समस्त जीवन उत्तरदायित्व, परिवार, समाज के मन्दिर में समर्पित रहा | स्नेह, मैत्री और करुणा कि यह प्रतिमूर्ति, अपनी रचनाओं का ऐसा दीपक प्रज्वलित कर समाज के उस गलियारे में रख दी, जहाँ से युगों -युगों तक अँधेरे से गुजर रहे राहगीरों को उजाला मिल सके | इन्होंने लौकिक प्रेम से अलौकिक आस्था को एक सूत्र में बाँधकर, उस निराकार के साथ, प्राणी-जीवन के स्नेह -सम्बन्धों के दाम्पत्य बंधन की सृष्टि कर डाली और निराकार प्रभु के सामने अमरता को तुच्छ माना | उत्सर्ग की वेदी पर स्वयं को शून्य कर देने वाली तारा,वैराग्य साधना मुक्ति की आकांक्षा नहीं रखती...
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