Description
प्रस्तुत व्यंग्य-कविता-संग्रह "सारे बगुले संत हो गये" व्यंग्य एवं हास्य रस की ५६ कविताओं का अद्भुत संग्रह है. इसमें देश, काल, और परिस्थिती को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न विषयों पर कवितायेँ लिखी गयीं हैं जो न केवल पाठकों को हंसाती हैं, गुदगुदाती हैं, वरन स्वस्थ मनोरंजन एवं ज्ञानवर्द्धन भी करती हैं . इसमें समाज में व्याप्त विसंगतियों, कु-प्रथाओं, कु-प्रवृत्तियों पर पैने कटाक्ष किये गये हैं. कविताएं गंभीर, अर्थपूर्ण व् अछूते विषयों पर प्रभावशाली वर्णन से मन पर गहरी छाप छोड़ जाती हैं. भाषा सरल, सहज और भावपूर्ण है .कुल मिलाकर पुस्तक पठनीय एवं संग्रहणीय है.
गोकुल प्रसाद सोनी
जन्म १६ मई १९५५ , खिमलासा,जिला सागर , (मध्य प्रदेश )
शिक्षा बी.एस सी. एल.एल.बी. सी.ए.आई.आई.बी.(बैंकिंग)
सम्प्रति से.नि. प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक.
पू.अध्यक्ष ‘इन्द्रधनुष’ साहित्यिक संस्था, बेरसिया.
पू. अध्यक्ष मध्य प्रदेश लेखक संघ,जिला इकाई, विदिशा.
पू. अध्यक्ष सार्वदेशिक सत्य समाज, जिला भोपाल.
पू. संरक्षक स्वर्णकार समाज, विदिशा.
पू. सचिव नगर राष्ट्रभाषा कार्यान्वयन समिति,विदिशा.(गृह मंत्रालय दिल्ली से)
नवभारत अखवार के साप्ताहिक व्यंग्य कालम “ख़बरों पर निशाना” के पूर्व . स्तंभकार
संपादन संपादक “स्वर्ण शिखा” (पत्रिका), उप-संपादक –इन्द्रधनुष-१ (पत्रिका),संपादन सहयोग- देव भारती” (त्रैमासिक पत्रिका),भोपाल.
सम्मान एवं अलंकरण
(१) गिरधर गोपाल गट्टानी स्मृति सम्मान,
(२) अलंकरण-“मनु श्री”,
(३) अलंकरण- “सत्य श्री”.
(4) सामाजिक,वित्तीय,रक्षा सेवा संस्थाओं द्वारा सम्मानित/पुरुस्कृत.
(5) प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य म.प्र. लेखक संघ
(6) विशेष-मंचीय कवि एवं मंच संचालन,
(7) लेखकीय विधा-गीत,मुक्तक,हास्य-व्यंग्य,कविता,लघु-कथा,लेख,कहानियों का पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशन.
(8) प्रकाशित कृतियाँ - "छींटे और बौछार" (फोल्डर),
(9) "सारे बगुले संत हो गये" -(व्यंग्य कविता संग्रह)
(9)शीघ्र प्रकाश्य कहानी संग्रह, “अकल बड़ी या भैंस” (कहानी संग्रह)