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कवि आ लेखक, अपना युगसँ प्रभावितो होइत आ युगकेँ प्रभावितो करैत। ओना किछु रचना छोड़ि मैथिली कविताक सर्वाधिक आग्रह रूप-विधान आ शिल्पक प्रति रहल अछि। भावपक्ष मूलत: वैयक्तिक बनल अछि। भावनाक उदात्तता, सार्वजनिक उपयोगिता, अर्थ-गाम्भीर्य दिस अधिक आकृष्ट नहि अछि। अपन चारू दिसक परिस्थितिक अन्हार मानसिक कुहेसमे किछु टटोलैत मात्र अछि। सत्यसँ अधिक आस्था ओकर क्षणकेँ बदलैत यथार्थेमे अछि। एहेन भाव वा वस्तु-सत्य जेकर मानव जीवनक कल्याण लेल भऽ सकए, नइ अछि। ओ प्रतीक बिम्ब, शैली आरो विधाक जन्म दऽ रहल अछि जे अतिशय वैयक्तिक रूचिक तथ्य-शून्य तथा आत्म-मुग्ध कविता छी। जखन कि आइ सर्वदेशीय संस्कृती, मानवता आदिक प्रश्न साहित्यक सम्मुख उपस्थित अछि।
अपन कवितामे मध्य-युगक आध्यात्मिक आ आदर्शवादक चेतनाकेँ नवीन लोक-चेतनाक स्वरूप देबाक प्रयत्न कऽ ओकर निष्क्रियताकेँ सक्रिय बनबैक प्रयासक संग ओकर वैयक्तिकताकेँ उन्नत समाजिकतामे परिणत करैक चेष्टा कएल अछि। ‘हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता’क संग विराम लइ छी।
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