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Aasadhya rogo ka samna kaise karen (eBook)

Type: e-book
Genre: Medicine & Science
Language: Hindi
Price: ₹0
Available Formats: PDF

Description

स्वस्थ होने में साझेदारी
जीवन शैली बदलेंः आत्मचिकित्सक बनें

एक बार जब रोग हो गया है तो रोने, मूड़ खराब करने, चिन्ता करने से यह ठीक नहीं होगा। मात्र जीवन का उद्देश्य एवं भाव समझने व उसका ध्यान रखने से जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल सकती है, फलस्वरूप रोगी अपने दर्द व भय का सामना बेहतर तरीके से कर सकता है। जीवन में उद्देश्य होने से पीड़ा कम हो जाती है। अर्थात जीवन का लक्ष्य बनाएं। वर्तमान में जीएं।

केवल डाॅक्टर और दवाई ही इलाज नहीं करते वरन् ये सहयोगी है, रोगी के भीतर के डाॅक्टर के कार्य में ।डाॅ. अस्लाम ने बताया है कि ‘‘मजबूत जिजीविषा और मस्तिष्क के संतुलित होने से अन्तःस्त्र्रावी ग्रन्थियां स्वस्थ बनाने वाले रसायन बनाती है।’’

जीवन के अस्तित्व में, ईश्वर में, अपनी चिकित्सा में आस्था रखने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सकारात्मक भाव व विचारों से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अर्थात् स्वस्थ होने में विचारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। विचार अनुकूलन की शक्ति का प्रयोग करें............... स्वस्थ होने के विचार निरन्तर करते रहे।
जीवन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रार्थना करें।

प्रभु आप जीवन के स्रोत हो
मुझे खुलकर अपना मधु पीने दो
मेरे दिल के अन्दर आप उठोे
अनन्त सम्भावनाओं को खोलो।

रोग हमारे अन्तर्मन की अराजकता व असंतुलन को दर्शाते है। मन के लयबद्ध व शान्त होने पर सब कुछ ठीक हो सकता है।

About the Author

- Jayanti Jain was born among cows and buffaloes at a village in Udaipur district(Rajasthan). He studied at Jawahar Lal Nehru University, New Delhi.
- He is working as an Additional Commissioner in Sales Tax Department.
- He has also worked as a free-lance Journalist.
-List of his Other books
How to Get Super Success
 उठो! जागो! जीतोे! लक्ष्य की प्राप्ति तक रूको नहीं!
 जियो तो ऐसे जियो
 तनाव छोड़ो सफलता पाओ
 आत्मविष्वास कैसे बढाएं?
 सकारात्मक कैसे बने?
 अपने मस्तिष्क की पूरी क्षमता का उपयोग कैसे करे?
 लक्ष्य बनाइये सफल होइये
 रिलैक्स कैसे रहे?
Tel. 0294-2641889, Mobile - 94142-89437
Email id- jayntijain@gmail.com,
My Hindi blog - http://uthojago.wordpress.com/
https://www.facebook.com/jayanti.jain.7509

Book Details

Number of Pages: 48
Availability: Available for Download (e-book)

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Aasadhya rogo ka samna kaise karen

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