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कालजयी रचना ‘पथेर पाँचाली’ के रचयिता विभूतिभूषण वन्द्योपाध्याय (1894-1950) यूँ तो सामाजिक लेखन के लिए जाने जाते हैं, मगर उन्होंने किशोरों के लिए भी रहस्य-रोमांच से भरपूर एक उपन्यास की रचना की थी, जिसका नाम है- ‘चाँदेर पाहाड़’ (1937)।
यह उपन्यास 1909 के अफ्रिका के अज्ञात एवं दुर्गम रिख्टर्सवेल्ड पर्वतश्रेणी में एक भारतीय किशोर शंकर रायचौधरी के साहसिक अभियान की रोमांचक गाथा है। एक पुर्तगाली खोजी दियेगो अलवरेज शंकर के मार्गदर्शक होते हैं। दोनों प्रसिद्ध पीले हीरे की खान की खोज में वहाँ जाते हैं।
बँगाल में यह रचना बहुत लोकप्रिय है, वर्ष 2013 में इस पर बँगला फिल्म बनी है और आज बँगला में इसके दर्जनों संस्करण उपलब्ध हैं; अँग्रेजी में भी इसके कई अनूदित संस्करण उपलब्ध हैं, मगर हिन्दी में इस कालजयी रचना का अनुवाद अब तक उपलब्ध न होना अपने-आप में आश्चर्यजनक है!
उसी ‘चाँदेर पाहाड़’ का हिन्दी अनुवाद ‘चाँद का पहाड़’ प्रस्तुत है। देखा जाय, तो भारतीय बाल-किशोर-युवा पाठकों के लिए यह एक ‘अवश्य पढ़ें’ पुस्तक है।
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