You can access the distribution details by navigating to My pre-printed books > Distribution
योगासन के सैकड़ों प्रकार हैं- कुछ सरल, कुछ कठिन, कुछ बहुत कठिन। इसी प्रकार, प्राणायम भी बहुत तरह के होते हैं और ध्यान की भी अनेकों विधियाँ हैं।
यहाँ कुछ सामान्य योगासनों, एक सरल प्राणायाम और ध्यान की एक सहज विधि का चयन कर उन्हें एक शृँखला के रुप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसे लगभग बीस मिनट में पूरा किया जा सकता है।
इस शृँखला को विशेषकर किशोरों एवं युवाओं की उस पीढ़ी के लिए तैयार किया गया है, जो समय की कमी का बहाना बनाकर स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतते हैं। वैसे, किसी भी उम्र के व्यक्ति इसका अभ्यास कर सकते हैं- आवश्यकतानुसार, थोड़ी सावधानी के साथ।
योगासनों का चयन करते समय मुख्य रुप से इस बात को ध्यान में रखा गया है कि एक आसन में अगर हम सामने की ओर झुकें, तो अगले आसन में हमें पीछे की ओर झुकना पड़े। उद्देश्य है- मेरुदण्ड की लोच, यानि रीढ़ की हड्डी की लचक को बनाये रखना। इस लचक के बने रहने से हम न केवल शारीरिक रुप से स्वस्थ रहते हैं, बल्कि मानसिक रुप से भी प्रसन्नचित्त रहते हैं- ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है। मेरी जानकारी के अनुसार, हाल के वर्षों में वैज्ञानिक शोधों में भी ऐसा ही कुछ साबित हो चुका है।
प्राणायाम के रुप में अनुलोम-विलोम का चयन किया गया है- हालाँकि एक वैकल्पिक विधि का भी जिक्र है। इसके चयन का उद्देश्य है- फेफड़ों के पूरे आयतन में ऑक्सीजन की आपूर्ति। ऑक्सीजन ही है, जो हमारे रक्त में घुलकर सारे शरीर में दौड़ता है और हमें नयी ऊर्जा देता है। आम तौर पर हम जिस तरह से साँस लेते हैं, उससे फेफड़ों के पूरे आयतन में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होती है।
ध्यान के लिए एक सहज विधि का का चयन किया गया है, जिसका उद्देश्य है- मन की एकाग्रता को बढ़ाना। मन की एकाग्रता हमारा मनोबल बढ़ाती है। मनोबल और आध्यात्मिक शक्ति में कोई अन्तर हो भी सकता है, मगर मेरे लिए दोनों समान हैं।
कुल-मिलाकर,
1. मेरुदण्ड की लोच को बनाये रखकर;
2. फेफड़ों में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति करके, और
3. मन की एकाग्रता को बढ़ाकर
शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक प्रसन्नता तथा मनोबल या आध्यात्मिक उन्नति को पाने की एक छोटी-सी कोशिश का नाम ”जय-योग“ है। छोटी-सी कोशिश इसलिए कि प्रतिदिन प्रातः स्नान के बाद और जलपान से पहले सिर्फ 20 मिनट समय निकालकर हम इस अभ्यास को कर सकते हैं।
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book Jay-Yog.