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"जिंदगी और प्रेम" ई-पुस्तिका के रूप में संकलित काव्य-कृति है। घर के भीतर पलते प्रेम से लेकर शहर के चौराहों तक प्रेम की खोजबीन में हमारे रचनाकार मुखर हुए है। अनुभवों की सांझी विरासत लिए इन कवियों ने जिंदगी को परिभाषित करने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी है। साहित्य में शील के उच्च स्तर को छूकर इन कलमकारों ने भांति भांति से व्यंजना की भाषा में अपनी बात तो कहीं ही है और अभिधा के उत्तमोंत्तम परिधानों से कविता को अलंकृत कर पाठक मन को झंकृत कर दिया है। मैं कृष्ण चतुर्वेदी संकलित समस्त रचनाकारों का हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ। डॉ.सरिता शुक्ला ने प्रेम पुरुष श्रीकृष्ण की सखी श्यामा के माध्यम से देवत्व की अनुगामी भारतीयता से यह कहकर मीठी तकरार की है कि प्रेम में वादाखिलाफी आपने की है तो पुरुष जाति को आदर्श मिल गया है। कोटा, राजस्थान से मनोरंजन कुमार सिंह ने शास्त्रीय...
बहुत खूब
शानदार संकलन, चित्रांकन और परिकल्पना भी, संकलक के आगामी विशेषांकों की प्रतीक्षा रहेगी : राम मोहन गुप्त