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ई-बुक "रंगों की बोली" भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण त्योहार होली के अवसर पर संग्रहित रचनाओं का अद्भुत संग्रह है।देश के कोने-कोने से रचनाकार यहाँ एकत्रित हुए है जिन्होंने अपनी शानदार काव्य-रचनाओं से इस ई-पुस्तिका को भारतीय संस्कृति का जीवंत कलेवर बना दिया है। यह विचित्र संयोग रहा कि इस बार होली 8 मार्च को पड़ी और इस दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस भी होता है। यह ख्याल आया तब तक अग्रिम कमान संभाले लेखिका नेहा पण्डित अपना संपादकीय लिखा चुकी थी। मैंने संपादकीय का एक-एक अक्षर पढ़ा और संतुष्टि मिली।इस युवा लेखिका में यह खास बात है कि जब जो संदर्भ हो... बेहतरीन कार्य कर देती है।
अब बात अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की उठी तो हमने महिला व पुरुष दोनों रचनाकारों को इस पर लिखने को कहा। और नारी जाति में उत्पन्न हुई जाग्रति का इससे बढ़कर नमूना क्या होगा कि हमें अतिशीघ्र दो विशिष्ट आलेख गृहिणी नीति गुप्ता तथा प्रोफेसर मीना जी की तरफ़ से प्राप्त हो गये। भूमिकाएं ऐसे ही तो बनती है,पहले से कहाँ सब सोचा हुआ रखा जाता है और जो सोच रखा होता है वह कहीं धरा का धरा रह जाता है।देश के महत्वपूर्ण कवि आगे आये और यह संग्रह बन पड़ा।
.......... कृष्ण चतुर्वेदी........
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