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समाज और ईश्वरीय समाज (eBook)

Type: e-book
Genre: Politics & Society, Religion & Spirituality
Language: Hindi
Price: ₹200
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

विषय- सूची

समाज
नये समाज के निर्माण का आधार

भाग-1 : समाज

राजा राम मोहन राय-ब्रह्म समाज
केशवचन्द्र सेन-प्रार्थना समाज
स्वामी दयानन्द-आर्य समाज
श्रीमती एनीबेसेन्ट-थीयोसोफीकल सोसायटी

भाग-2: धर्म

धर्म का अर्थ, धर्म और रिलिजन
धर्म की परिभाषा, तत्व चिंतन और आवश्यकता
धर्म एवं दर्शन, धर्मदर्शन, विज्ञान, नैतिकता
धर्म में वस्तु तत्व एवं प्रतीक
धर्मसमभाव की अवधारणा और विश्वधर्म का आधार

भाग-3: ईश्वरीय समाज

स्वामी विवेकानन्द - रामकृष्ण मिशन
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित सहस्त्राब्दि सम्मेलन-2000 ई0
राष्ट्राध्यक्षों का सम्मेलन
आइये विश्व के लिए एक नया मार्ग रखें
धार्मिक एवं आध्यात्मिक नेताओं का सम्मेलन
लव कुश सिंह “विश्वमानव”
ईश्वरीय समाज
ईश्वरीय समाज निर्माण की कार्यवाही आधारित पुस्तकें
विश्व-नागरिक धर्म का धर्मयुक्त धर्मशास्त्र - कर्मवेद: प्रथम, अन्तिम तथा पंचम वेदीय श्रृंखला
विश्व-राज्य धर्म का धर्मनिरपेक्ष धर्मशास्त्र - विश्वमानक शून्य-मन की गुणवत्ता का विश्वमानक (WS-0) श्रृंखला
प्राकृतिक सत्य मिशन (Natural Truth Mission)
विश्वधर्म मन्दिर
सत्यकाशी ब्रह्माण्डीय एकात्म विज्ञान विश्वविद्यालय
(Satyakashi Universal Integration Science University-SUISU)
“सत्यकाशी महायोजना” (वाराणसी-विन्ध्याचल-शिवद्वार-सोनभद्र के बीच का क्षेत्र)
एक विश्व - श्रेष्ठ विश्व के निर्माण के लिए आवश्यक कार्य
एकात्मकर्मवाद और विश्व का भविष्य
विश्व का मूल मन्त्र- “जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान-जय ज्ञान-जय कर्मज्ञान”
विश्वव्यापी स्थापना का स्पष्ट मार्ग

भाग-4 : सत्य आमंत्रण

पाँचवें युग - स्वर्णयुग के तीर्थ सत्यकाशी क्षेत्र में प्रवेश का आमंत्रण
पाँचवें युग - स्वर्णयुग में प्रवेश का आमंत्रण

भाग-5 : समष्टि धर्म दृष्टि

अनिर्वचनीय कल्कि महाअवतार भोगेश्वर श्री लव कुश सिंह “विश्वमानव” का मानवों के नाम खुला चुनौती पत्र

अनिर्वचनीय कल्कि महाअवतार का काशी-सत्यकाशी क्षेत्र से विश्व शान्ति का अन्तिम सत्य-सन्देश

About the Author

कल्कि महाअवतार के रूप में स्वयं को प्रकट करते श्री लव कुश सिंह “विश्वमानव” द्वारा प्रकटीकृत ज्ञान-कर्मज्ञान न तो किसी के मार्गदर्शन से है और न ही शैक्षिक विषय के रूप में उनका विषय रहा है। न तो वे किसी पद पर कभी सेवारत रहे, न ही किसी राजनीतिक-धार्मिक संस्था के सदस्य रहे। एक नागरिक का अपने विश्व-राष्ट्र के प्रति कत्र्तव्य के वे सर्वोच्च उदाहरण हैं। साथ ही राष्ट्रीय बौद्धिक क्षमता के प्रतीक हैं।

Book Details

Publisher: lava kush singh
Number of Pages: 150
Availability: Available for Download (e-book)

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समाज और ईश्वरीय समाज

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