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यह किताब मानवता, प्रकृति, समाज, युवा आदि जैसे कई सारे विषयों पर लिखी गई कविताओं का संग्रह है। इसे लिखते समय मैंने जो देखा, महसूस किया, उन बातों को काव्य रूप देने की कोशिश की है। इसे लिखते समय निराशाओं के चलते मन में कई बार मुझे इसे अपूर्ण छोड़ने का भाव आया। क्योंकि मैं ख़ुद कई सारे दबाव को महसूस कर रहा था जैसे सामाजिक, मानसिक, नाकामयाबी, भविष्य, प्रत्यक्ष स्थिति का दबाव, इत्यादि। जो अधिकांश युवाओं की ज़िंदगी की आम दास्तान है। जिसके चलते कई युवा अवसाद से गुज़र रहे हैं, पर फिर भी आशाओं को मन में रखकर "सब ठीक होगा" की कल्पना करते हैं। इसी विषय पर एक कविता भी मिलेगी इस संग्रह में 'अवसाद' नाम से जो यह बताने की कोशिश करती है कि सामने बैठे व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है। इस बात का अनुमान हम पूर्णतः नहीं लगा सकते।
यह किताब समाज में युवाओं में हो रहे परिवर्तन और उनकी समस्याओं या सुझावों का काव्यबद्ध रूप है। कुछ कविताएँ विचार-विमर्श करने पर मजबूर करती हैं, तो कुछ मानवता पर बात करती हैं। वहीं कुछ बाल कविताएँ भी हैं जो बच्चों में कल्पनात्मक क्षमता को विकसित करने की कोशिश करती हैं। इन कविताओं का संग्रह आपको आधुनिक कविताओं से रूबरू कराने की कोशिश करता है।
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