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हिंदकाव्यांश (eBook)

कविताओं की अपनी दुनिया- सौ से अधिक कविताओं का संग्रह, छोकि और त्रिकाव्यांश के साथ
Type: e-book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹150
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF, EPUB

Description

यह किताब मानवता, प्रकृति, समाज, युवा आदि जैसे कई सारे विषयों पर लिखी गई कविताओं का संग्रह है। इसे लिखते समय मैंने जो देखा, महसूस किया, उन बातों को काव्य रूप देने की कोशिश की है। इसे लिखते समय निराशाओं के चलते मन में कई बार मुझे इसे अपूर्ण छोड़ने का भाव आया। क्योंकि मैं ख़ुद कई सारे दबाव को महसूस कर रहा था जैसे सामाजिक, मानसिक, नाकामयाबी, भविष्य, प्रत्यक्ष स्थिति का दबाव, इत्यादि। जो अधिकांश युवाओं की ज़िंदगी की आम दास्तान है। जिसके चलते कई युवा अवसाद से गुज़र रहे हैं, पर फिर भी आशाओं को मन में रखकर "सब ठीक होगा" की कल्पना करते हैं। इसी विषय पर एक कविता भी मिलेगी इस संग्रह में 'अवसाद' नाम से जो यह बताने की कोशिश करती है कि सामने बैठे व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है। इस बात का अनुमान हम पूर्णतः नहीं लगा सकते।
यह किताब समाज में युवाओं में हो रहे परिवर्तन और उनकी समस्याओं या सुझावों का काव्यबद्ध रूप है। कुछ कविताएँ विचार-विमर्श करने पर मजबूर करती हैं, तो कुछ मानवता पर बात करती हैं। वहीं कुछ बाल कविताएँ भी हैं जो बच्चों में कल्पनात्मक क्षमता को विकसित करने की कोशिश करती हैं। इन कविताओं का संग्रह आपको आधुनिक कविताओं से रूबरू कराने की कोशिश करता है।

About the Author

मेरा नाम माख है, पर इसके पीछे एक कहानी है। मेरा वास्तविक नाम माख नहीं है। लेकिन मुझे माख नाम ही सबसे प्रिय है। इसके पीछे निम्नलिखित तर्क हैं :
माख वह नाम है जो मैंने स्वयं के लिए चुना, मेरा वास्तविक नाम वह है जो मुझे दिया गया।
माख मेरे माता-पिता के नाम की शुरुआती वर्ण और मात्रा से मिलकर बना है। इसलिए यह मुझे ज्यादा अच्छे से परिभाषित करता है।
म् + अ (माँ से), अ + ख् + अ (पिता से)
एक विचार के चलते जैसे हिंदू पौराणिक कथाओं में माताओ को अधिक प्राथमिकता दी गई है जैसे राधा-कृष्ण, सीता-राम, लक्ष्मी-नारायण, गौरी-शंकर आदि, उसी तरह मैंने माँ के नाम को पहले इस्तमाल किया है।
माख जातिवाद से मुक्त है। कोई उपनाम नहीं, जो दर्शाता है कि मैं केवल एक इन्सान हूँ।
आम तौर पर नाम किसी न किसी से उपमा करते हुए रख दिए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर- आदित्य यानी सूर्य, कृष्णा यानी देवता। परंतु माख नाम का किसी वस्तु, व्यक्ति, या अर्थ से संबंध नहीं है इसीलिए माख यानी मेरा इस प्रकृति में अस्तित्व। अर्थात माख का मतलब "मैं"।
जन्म: सागर, 24 नवंबर 1998

Book Details

ISBN: 9789360766900
Publisher: Self
Number of Pages: 303
Availability: Available for Download (e-book)

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हिंदकाव्यांश

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