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‘स्पंदन’ कविता संग्रह जीवन के प्रति एक अति संवेदनशील ह्रदय की भावुक प्रतिक्रिया है। इन कविताओं को मैंने १८ से ३० वर्षों के बीच में लिखा था । कभी मन के भाव, कभी आस पास की घटनाएं, कभी मन विचलित करने वाली प्राकृतिक आपदाएं, किसी वीर सपूत की सीमा पर शाहदत नहीं तो कभी जीवन की किसी चुनौती पर प्रतिक्रिया शब्द बनकर कागज़ पर सजी ।
कविता संग्रह को दुनिया के साथ साँझा करूँ या न करूँ इस कश्मकश में बहुत समय बीत गया। मुख्य कारण था कि कवितायेँ दिल के करीब की भावनाएं होती हैं । फिर कोई उच्च स्तर की साहित्यिक कृति भी नहीं थी, इसलिए आत्म विशवास और सहस भी नहीं जुटा पाई। जब काफी वर्ष बीत गए तो लगा कि भावों की ये अभिव्यक्ति बहुत ही अपरिपक्व है।
‘स्पंदन’ को डायरी से ले कर प्रकाशन तक का सफर तय करने में बीस साल लगे। कविता बेशक एक व्यक्तिगत उदगार होती है लेकिन उसमे एक सर्वव्यापी सन्देश होना चाहिए तभी वो हर किसी के दिल को छूती है। ‘स्पंदन’ में भी इस तरह की कवितायेँ शामिल हैं। पाठकों की सुविधा के लिए संग्रह को विषय के अनुसार खण्डों में बांटा गया है।
आशा है आपको मेरी कवितायें पसंद आएँगी।
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