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काफी पहले शायद 1999-20 मैं वैश्विक महामारी फैली शायद भारत मैं भी इसका प्रभाव पड़ा कितना प्रभाव पड़ा यह कहना मुश्किल है | मुश्किल इसीलिए क्योंकि 100 साल पुरानी बात है और मैं उस वक़्त पैदा भी नहीं हुआ था संभव है महामारी सम्बन्धी दस्तावेज कहीं उपलब्ध हो परन्तु मुझे इसकी जानकारी नहीं है |
इसके बाद आयी भारत विभाजन के रूप मैं एक अन्य त्रासदी | इस त्रासदी को भी मैंने अपनी आँखों से नहीं देखा परन्तु मेरे परिवार के बुजुर्गों ने अवश्य ही देखा और भोगा और यही वह पीढ़ी थी जिसने स्वतंत्रता संग्राम मैं सक्रिय योगदान दिया था | जिस वक़्त मेरा जन्म हुआ और मेरा बचपन गुजरा वह ऐसा वक़्त थे जब हमारे पास मोबाइल या सोशल मीडिया नहीं था | इसका मतलब हमारे पास वर्चुअल मित्र न होकर वास्तविक मित्रों का एक बड़ा भंडार था | उस वक़्त TV भी नहीं होता था इसीलिए शाम और रात का वक़्त दादा दादी से गप्पे लड़ते हुए गुजरता था | उस वक़्त का और गप्पों अपना महत्व रहा है | इन्ही गप्पों की बदौलत ही हम विभाजन की त्रासदी का परिचय पा सके है | आने वाले समय मैं कई लेखकों ने अपने अनुभवों को सकलित भी किया |
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