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दिल ने फिर याद किया बर्क़ सी लहराई है !
फिर कोई चोट मुहब्बत की उभर आई है !!
एक अंतरे के साथ डिम्पी ने जैसे ही अपना फोन रिसिव किया, सामने से एक चौकानें वाली ख़बर आई !
" अरे, डिम्पी...सुन रही हो ना !
नेहा कुछ ओर बोलती उससे पहले ही डिम्पी ने फोन रख दिया औऱ खुद को धितकारने लगी, बार-बार खुद को कोसने लगी, और रोते-रोते अनायास ही उसके मुह से कुछ शब्द निकल गए, " हम कितना भी अपना हिसाब-किताब लगा ले, आखिरकार वो ही झोका होता है, जो लेखा में लिखा होता है " !!
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