You can access the distribution details by navigating to My pre-printed books > Distribution
राकेश ने आगे बढते हुए दरवाजा खट खटाया । किसी पुरूष ने दरवाजा खोला और दोनों तुरन्त ही अन्दर प्रवेश कर गये । अन्दर बङा मेदान था । वे दोनो मेदान को पार करने लगे पूजा के मन मे हल चल मची हुई थी । वह चारो तरफ खङे 50 .. 100 आदमियों को देख रही थी । उसको कुछ भी समझ मे नहीं आ रहा था । वैसे भी वह शक्की किस्म की लङकी थी। परन्तु आज पता नहीं उसका मुंह क्यों बंद था? वह किसी सम्मोहित सी होकर राकेश के पीछे चल रही थी। वे दोनो सीढियों को पार करते हुए जैसे ही ऊपर पहुंचे ,राकेश ने पूजा को बांहों मे भर लिया । पूजा को गूस्सा आगया और वह छुटने के लिए झटपटाने लगी । परन्तु राकेश की पकङ से निकलने मे नाकामयाब रही। तब तक राकेश उसे कमरे मे लेजाकर बेड पर लिटा चुका था । और खुद पास पङी एक कुर्सी पर बैठ गया ।
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book bhrst kute new.