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लङकी कुछ देर तक यूहीं सोचती रही फिर उत्साहजनक स्वर मे बोली
........”चलों मैं पंवार के यहां जाती हूं क्या पता वह मुझे कुझे पैसे देदे। वैसे भी उसके पास पैसे की कोई कमी नहीं है ।उसके घर मे तो सब नौकरी करते है न।“
.........”ठीक है तुम जाओं हां पर जल्दी आ जाना कोई गप्पे बाजी मत करना याद रखना तुम्हारे पापा बिमार हैं ।“
........”जी मां बस अभी गई और अभी आई ।“ कहते हुए वह पैदल ही निकल पङी । वैसे भी पंवार का घर यहां से कोई ज्यादा दुर नहीं था जो उसे ओटो रिक्से की जरूरत पङ जाती । इसमे उसको एक फायदा यह भी हुआ कि उसके पैसे भी बच गए।
पंवार उसका सबसे अच्छा दोस्त था । वह उस पर बहुत विश्वास भी करती थी । पर पैसे मांगने वह आज उसके पास पहली बार जा रही थी। उसे इतना तो विश्वास ही था कि पंवार उसे मना नहीं कर सकता । फिर भी वह न जाने क्यूं डरी हुई थी।
वह जल्दी हीं पंवार के घर के पास पहुंच गई । उसका घर बहुत बङा था पर उसमे रहता था वह सिर्फ अकेला । लङकी ने दरवाजा खटखटाया ।
कुछ समय बाद दरवाजा खुला ।
.........”अरे तुम आज सुबह सुबह । आओ अंदर आजाओं ।“ वह दरवाजे से हटते हुए बोला।
जानवी सिधी अंदर आगई ।
......”बैठो । “ उसने सोफे की ओर ईशारा करते हुए कहा
........”नहीं मैं बेठने के लिए नहीं आई हूं ।“
.........”क्या नाराज हो ?“
.......”नहीं यार तुझसे कभी नाराज हुई हूं क्या ?“
.........”नहीं तो फिर बैठो बैठ कर बात करेंगे ना ।“
वह बे मन से बैठ गई । और सीधी काम की बात पर आती हुई बोली ।https://www.coolthoughts.in
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