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.........”नहीं रात बहुत हो चुकी हैं। मैं घर जा रहा हूं । किसी और दिन चाय पिलेंगे ।“ कह कर रामू काका तो चले गये । लङकी को तुरन्त ही अंदर लाया गया । उसके पापा ने उससे पूछा
...”.तू कहीं उस भूत महल मे गयी थी क्या?“
..... ”.नहीं पापा मैं। रस्ता भूल गयी थी और भकटते हुए वहां पहुंच गयी । “
............. ” उस भूत बंगले के अंदर तो नहीं गयी क्या ? “
............ ” नहीं पापा । “
....... ” .तो चलो खाना खा लो । “
.......... ” .पापा आप भी खालो। “ कह कर लङकी भी खाने लगी । पूरें परिवार ने खाना खाया और अपने अपने कमरे मे सोने पहुंच गये ।
यही कोई रात के 12 बजे थे ।किसी के रोने की आवाज लङकी के भाई जिसका नाम राजू था ने सुनी । उसने आखें खोली । उसके कमरे की एक खिङकी बाहर...
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