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₹ 180
प्रीत के गीत गाते हुए मन प्रीत को जान पाने के लिए भावों एवं विचारों का ताना-बाना बुनता है। कभी प्रीत प्राणों की पुकार बनकर अन्तर्मन के द्वार खोलते हुए अन्दर की दुनिया अर्थात चेतना के संसार का सैर करने लगता है, तो कभी भौतिक स्तर पर अवलोकन करने लगता है। जीवन में अवसर आते ही रहते हैं जब व्यक्ति सभी कार्यों से विमुख हो जाता है। तब उसे आवश्यकता महशूश होती है कारण की। तब प्रायः यह प्रेम ही किसी न किसी रुप में उसे जीवन का कारण दे जाता है।
मन सदा-सदा के लिए डूब जाना चाहता है प्रेम के आगोश में, लेकिन ऐसा सम्भव नहीं हो पाता है। क्योंकि इस संसार के भौतिक साधनों में वह चीर स्थायित्व ही नहीं है। इसलिए कुछ देर के सुख पश्चात पुनः वही रिक्ततता जीवन को घेर लेती है, और प्रारम्भ हो जाती है एक नयी तलाश स्थायित्व की।
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