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₹ 180
व्यक्ति के जीवन में उसके कर्मेन्द्रियों एवं ज्ञानेन्द्रियों से परे भी उसके अन्दर कुछ ऐसा है, जिसको न तो वह जान पाता है और न ही पहचान पाता है। किन्तु प्रयत्न निरन्तर करता रहता है। इसी प्रयत्न में वह अनेकों विविध परिणामों को साकार करता है।
"मानस-हंस" अन्तर्मन के रहस्यमयी संसार में होने वाली हलचलों को पहचानने की एक कोशिश है। यह जीवन के अनुभवों के परिणाम स्वरुप अन्तर्मन में उठने वाली भावनाओं एवं अंन्तर्मन से उत्पन्न भावनाओं के परिणाम स्वरुप जीवन में होने वाले परिवर्तन के बीच संबन्धों को उजागर करने वाले ज्ञान का वर्णन प्रस्तुत करता है।
इस संसार में अनेकों प्रकार की शक्तियाँ विद्यमान हैं जो समय-समय पर अपना प्रभाव दिखाती रहती हैं और मानव को अचम्भित करती रहती हैं।मानव भी उन शक्तियों के बारे में जानने की तथा उनको प्राप्त करने की अपनी पूरी कोशिश करता है।
"मानस-हंस" एक ऐसी शक्ति की कल्पना प्रस्तुत करता है जो कि अन्तर्यामी है, और मन की बात जान सकती है।इस तरह की शक्ति को ही मानस-हंस नाम दिया गया है और पुस्तक का नाम भी मानस-हंस रखा गया है।इस तरह की शक्ति को एक आदर्श स्वरूप मानकर उसके सुप्रभावों का वर्णन करने की कोशिश की गयी है। यह पुस्तक अजर-अमर मानवता की एक बहुत ही सुन्दर संसार की कल्पना प्रस्तुत करता है, जिसमें प्रत्येक वस्तु प्राण से निर्मित होती है, और जहॉ सोच मात्र से ही परिवर्तन सुनिश्चित हो जाता है और इस देश में मानस-हंस जैसे प्राणियों का वास होता है।पुस्तक पढ़ते हुए मन एक अपार हर्ष से आप्लावित होता है और जीवन को उच्चता पर स्थापित करने को प्रेरित करता है।
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