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उर्दू अदब के लहजे से शायद एक मुसलसल ग़ज़ल, मगर उससे ज्यादा अहम, मोहब्बत और इंतज़ार में लिखे हुए कुछ अश'आर, जो ज़िंदगी में उनके किरदार की बात करते हैं।
वो इंतज़ार नहीं जो कभी पूरा न हुआ, बल्कि वो इंतज़ार जो अपने ख़त्म होने की तारीख़ बता वक़्त गुज़ारना और दुश्वार कर देता है। हर गुजरते दिन के साथ बढ़ती उनकी याद, और खूबसूरत होता इंतज़ार।
कुछ जायज़ वजहों से एक अरसे तक उनकी हमसे दूरी, और उस दूरी में महसूस की गई उनकी कमी। उनकी गैर-मौजूदगी में बिताए लम्हों का एक लेखा-जोखा। छोटे छोटे नुक़तों से लेकर ग़ुमशुदगी तक का हिसाब-किताब।
Great work
Well the book was not so big that it can be called a book but still it's something good you have done a good job . Astonishing