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“यादों के झरोखों से” मेरी कॉलेज के उन दिनो की याद ताज़ा होती है जब खुली हवाएँ होती थी , दोस्तों के बैठक होती थी, इश्क़ होता था, दिल जुड़ता था, दिल टूटता था, पर कुछ भी कहो जीवन जिया जाता था। इसमे तमाम कवितायें मेरी उस समय की प्रेमिका (अभी धर्मपत्नी ) का आभार है जिनके दिल तोड़ने और जोड़ने ने मेरी डायरी भर दी थी । कई कवितायें उन दोस्तों पर है जिन्होने मुझे दार्शनिक बना दिया । और फिर कवि हृदय से समाज कैसे छूट सकता है। उन समाज के कई पहलूओं पर भी लिखा गया है । सारी कवितायें उस वक़्त के विचारों के उठक पटक की अभिव्यक्ति है। मुझे विश्वास है आप भी ऐसे दौर से गुजरे होंगे। और ये संकलन आपको उन दिनों मे ले जाएगा ।
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