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यह कहानी एक काल्पनिक व्यंग्य है । जिसमें ग्रामीण जीवनशैली पर नोटबंदी की घटना के प्रभाव का काल्पनिक चित्रण किया गया है। इस कहानी का मकसद किसी भी विचारधारा, व्यक्ति, राजनीतिक दल, राजनेता का समर्थन या विरोध नहीं है ।
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