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Bole Gira Gambhir (eBook)

Poetry
Type: e-book
Genre: Philosophy, Religion & Spirituality
Language: Hindi
Price: ₹90
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

बोले गिरा गँभीर संत शिरोमणि, युग परिवर्तक श्री सच्चा बाबा महाराज की वाणियों का काव्यमय भावानुवाद है। संत श्री सच्चा बाबा ’श्री सच्चा आश्रम, अरैल, प्रयाग में गंगा यमुना संगम के पास रहते थे। उनकी वाणियाँ स्वयं में वेद-ऋचाओं से अर्थ-गर्भी तत्त्व परिनिष्ठ और नयनोन्मीलक हैं। आप समय के द्रष्टा और क्रांतिकारी परिवर्तक संत हैं। उनकी वाणियों का यह विश्लेषण समय-समय पर जैसे वसंत पंचमी जिसे वे परिवर्तन की तिथि कहते थे, शिवरात्रि जिसे वे स्वात्मावबोध की तिथि कहते थे, गुरुपूर्णिमा जिसे वे आत्मानुशीलन की तिथि कहते थे और कृष्ण जन्माष्टमी जिसे वे भगवतावतरण की तिथि कहते थे, पर दिए गए प्रवचनों का सार संक्षेप है। राम नवमी, चैतन्य जन्मोत्सव, यज्ञायोजन एवं भारतीय तत्त्वान्वेषी विद्यार्थियों के बीच भी उनके प्रबोधनों ने अमृत तुल्य कार्य किया है। यह बोले गिरा गँभीर काव्य रचना उन्हीं तत्त्वदर्शी ऋषि की वाणियों का आलोड़न एवं अनुशीलन है जो नितान्त स्वांतः सुखाय है और इसका प्रकाशन परोपकाराय ही उद्घाटित हुआ है।

About the Author

वाराणसी जनपद के पूर्ववर्ती सीमा में स्थित ग्रामीण अंचल के छोटे से गाँव भटपुरवा में जन्म। जीवन के १० वर्ष शिक्षा सम्पादन में बिहार के बक्सर अंचल एवं पाटलिपुत्र में बीते। बी०ए० आनर्स (अंग्रेजी), एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वाराणसी की नागरी प्रचारिणी सभा में एक वर्ष से अधिक की अवधि तक हस्तलिखित संस्कृत ग्रंथों के अनुक्रम एवं परिशिष्ठ लेखन का कार्य। एल०टी० एवं साहित्यरत्न की उपाधि से संयुक्त। पुनः चन्दौली जनपद के सकलडीहा इण्टरमीडिएट कालेज में अध्यापन। अद्यावधि अंग्रेजी प्रवक्ता के कार्य का सम्पादन करते हुए सेवा से अवकाश। साहित्य में काव्य रचनाओं का प्रणयन, यथा ’टेर रहा है मुरलीधर’, ’नौमि गोपाल बालम्’, ’करो भक्ति जिज्ञासा’, गीता भावानुवाद, गीतांजलि काव्यानुवाद, सौन्दर्य लहरी काव्यानुवाद आदि का प्रणयन। लोकभाषा भोजपुरी के क्षेत्र में लोकगीतों का सृजन एवं शैलबाला शतक जैसी काव्य-कृति की रचना। एकांकी नाटकों का मंचानुकूल सृजन। अवकाशोपरांत भी आलोचना एवं समीक्षा कार्यों में संलग्न।

Book Details

Publisher: Prem Narayan Pandey
Number of Pages: 276
Availability: Available for Download (e-book)

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Bole Gira Gambhir

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