Description
Puncher LIFE
यह सिर्फ़ एक कहानी नहीं, एक अनुभव है।
चार दोस्त, एक सपना, और एक शहर – मुंबई।
यह उपन्यास दिखाता है कि कैसे एक आम आदमी जब सपनों की नगरी में कदम रखता है, तो वो सिर्फ़ नौकरी नहीं, बल्कि खुद को भी तलाशता है।
हँसी, तकरार, संघर्ष, मोहब्बत, धोखा, और जीवन की वो हर गली... जहाँ पंचर तो टायर में होता है, मगर ज़िंदगी रुक जाती है।
पढ़िए "Puncher LIFE" – क्योंकि हर ज़िंदगी कभी ना कभी पंचर ज़रूर होती है।
पाठकों को ख़ास सन्देश : -
“बिना "कामयाबी" के आपका "संघर्ष"
"दुनिया" की नज़रो में पूरी तरह से "शून्य" है”
और
जिनके “शब्द” अच्छे हो
ज़रूरी नहीं उनका “दिल” भी उतना ही “अच्छा” हो।
इसलिए कभी भी किसी भी “लेखक की लेखनी” और उसके अच्छे “शब्दों” से उसके “चरित्र” का अंदाज़ा तुरंत मत लगाना। यहाँ सब कुछ गोलमाल है।
लेखक परिचय
राकेश कुमार 'सर्वोदय' का जन्म हरियाणा के रेवाड़ी डिस्ट्रिक्ट में हुआ, पर उनका बचपन, शिक्षा और व्यक्तित्व का निर्माण दिल्ली की गलियों में हुआ। ‘सर्वोदय’ शब्द उन्हें बचपन से ही आकर्षित करता था, जो आगे चलकर उनके नाम का स्थायी हिस्सा बन गया। मुंबई में लोग उन्हें स्नेहपूर्वक 'Raka Bhai Radhe' के नाम से भी जानते हैं।
राकेश ने दिल्ली स्थित अपनी बारहवी तक की पढाई Govt. Sarvodaya Bal Vidyalaya D Block Janak Puri से पूरी की, जिसके ठीक सामने पिछले 44 सालों से प्रसिद OMI छोले भठूरे की शॉप है। इसके तुरन्त बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. (पार्ट टाइम) की पढ़ाई की और साथ ही एशिया की प्रतिष्ठित संस्था I.T.I पूसा से मोटर मैकेनिक का दो वर्षीय नियमित कोर्स पूरा किया। इसके बाद उन्होंने तीस हजारी स्थित दिल्ली पुलिस मोटर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से एक वर्ष की अप्रेंटिसशिप करते हुए राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की।
जनवरी 2004 से मई 2005 तक उन्होंने दिल्ली स्थित हिंदुस्तान टाइम्स में ऑडिट एग्ज़ीक्यूटिव की भूमिका निभाई और वहीं से उनकी मुंबई यात्रा का "प्रारंभ" हुआ। मुंबई में काम के साथ-साथ उन्होंने सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से मार्केटिंग में 2 साल का पार्ट टाइम MBA भी पूरा किया। मीडिया की चकाचौंध और संघर्षों ने धीरे-धीरे उन्हें लेखन की ओर मोड़ दिया, जहाँ उन्होंने कविताएँ, संवाद और कहानियाँ रचना प्रारंभ कीं।
करीब दस वर्षों तक मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े रहने के बाद, अक्टूबर 2017 में उनके एक करीबी सहयोगी, बॉस श्री राजन गुप्ता जी जब फिल्म निर्माता बने, तो राकेश की फिल्मी यात्रा को नई उड़ान मिली। अक्टूबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच उन्होंने अपनी पहली हिंदी फ़िल्म "Puncher LIFE" की स्क्रिप्ट पूरी कर ली। हालांकि, दिल्ली-मुंबई की आपाधापी और जीवन संघर्षों के चलते फिल्म निर्माण अधूरा रह गया।
यहीं से जन्म हुआ एक विचार का — उस अधूरी फिल्म को एक पूर्ण उपन्यास के रूप में जीवंत करने का। और इसी सोच ने जन्म दिया इस पुस्तक को "Puncher LIFE" ।
यह सिर्फ़ एक कहानी नहीं, बल्कि उन तमाम जिंदगियों की झलक है जो रोज़मर्रा की पंचर होती सड़कों पर भी मुस्कुराते हुए चलना नहीं छोड़तीं। "Jeena इसी का नाम है..."
मुसीबतें बहुत थी , हार फिर भी नहीं मानी ।।
मैने इस नोवेल के 10 चैप्टर पढ़े है ,, बहुत ही शानदार नोवेल है ,,जब मै इस नोवेल को पढ़ने लगा तो मुझे ऐसे लगा जैसे कोई फिल्म चल रही है ओर मै इससे देख रहा हु ,,
मै पाठकों को सलाह देता हु ये नोवेल हर इंसान को पढ़नी चाहिए ।।