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‘संलाप’ साहित्य सेवी एवं लेखक श्री राकेश कुमार वर्मा द्वारा रचित अत्यंत निजी कथात्मक एवं काव्यात्मक दस्तावेज है। यह संलाप दो भागों में प्रस्तुत है। इसके प्रथम भाग में कहानी की रोचकता देखने को मिलती है और दूसरे भाग में काव्य की सरसता, रसिकता और रमणियता हमारा ध्यान आकृष्ट करती है, जो समय-समय पर उन्हें तत्कालीन परिस्थितियों द्वारा आलोड़ित करती रही हैं।
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