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मेरी कविताओं का संग्रह ‘आखिर कब तक’ मेरे जीवन की आप बीती कहानी है। मैंने अपने छात्र जीवन से लेकर जीवन को जैसा पाया और जैसा जिया, लगभग उस सबकी यह कविता संग्रह एक संक्षिप्त दास्तान है।
इस कविता संग्रह में आधुनिक भारतीय समाज की विविध विसंगतियों को बेनकाब करने का प्रयास किया गया है। साथ ही इन कविताओं के माध्यम से सामाजिक धरातल पर उत्पन्न होने वाली राजानीतिक व्यवस्था की विद्रूपताओं से त्रस्त लोक समुदाय की अंतर्चीख को प्रस्फुटित करने की कोशिश की गयी है।
Re: आखिर कब तक ? (e-book)
This book is worth reading for the exact depiction of society . The poems may not be relevant in the present context but it portrays the social and political scene in past very nicely.