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गागर में सागर भरने अर्थात कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक भाव स्पष्ट करने के मामले में भारतीय कवि सबसे आगे रहे हैं।भर्तृहरि उनमें से एक है।नीति वैराग्य और श्रृंगार शतकों के रचयिता भर्तृहरि कौन थे ? ऐसी मान्यता है की भर्तृहरि ,सम्राट विक्रमादित्य के बड़े भाई और उज्जैन के शासक थे।पत्नी से धोखा खाने के पश्चात इन्हे वैराग्य हो गया था।
वैराग्य प्राप्ति के पश्चात उन्होंने सन्यास जीवन को सबसे उपयुक्त माना। उनकी कविता के प्रत्येक श्लोक में रामायण,महाभारत जैसी गंभीर नैतिकता प्रस्फुटित हुई है।मानव जीवन को ऊंचा उठानेवाली उदात्त भावनाओं को उन्होंने बड़ी सरलता और सहजता से कहा है।
पुस्तक में श्लोकों के भाव को और स्पष्ट करने के लिए स्थान स्थान पर टिप्पणियाँ की गई हैं आशा है ये पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा ।
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