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यह किताब उन लोगों के लिए बहुत कुछ लिये है, जो लोग गरीब तो होते हैं , मगर उसमें भी खुशियां ठीक तलाश लेते हैं । जिन्हें छोटी-छोटी चीजों के लिए भी कठिन परिश्रम करना पड़ता है । भूखे होकर भी अपने मन को मनाना जानते हैं । जेब में चंद रूपए होते हुए भी चेहरे पर खुशी जाहिर करना जानते हैं ।
इस कहानी में मैंने एक गरीब लड़के कि छवि को दर्शाने का प्रयास किया है । जो अपनी खुशी के लिए कई छोटी-छोटी कामों में अपने परिवार के साथ रहता है और अपनी समझदारी का परिचय भी देता है । इस कहानी में मैंने जीवन के सभी पहलुओं को कुछ चन्द शब्दों कि सहायता से प्रकट करने का प्रयास किया हैं । मैं उन पहलुओं को उभारने में मैं कितना सफल हुआ उसका निर्णय तो आप मुझे मेरी कहानी पढ़कर ही बता पाएंगे ।
यह किताब मैं अपने दोस्तों को समर्पित करता हूं , जिन्होंने मेरा इतना साथ दिया हैं । “ लिफ़ाफा “ को लिखने में मुझे कुछ दिनों का ही समय लगा लेकिन इसकी रूपरेखा को तैयार करने में मेरे मित्र आरीत्रीका सिन्हा जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है । जिन्होंने इसकी आंतरिक रूप के सौंदर्य को सुनियोजित तरीके से बनाने में मेरी सहायता की है ।
और मैं उनका भी शुक्रिया अदा करता हूं , जिन्होंने मेरी पहली किताब “ वो मंजर याद रहेगा “ को इतना प्यार दिया ।
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