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लड़कपन वाला प्यार (eBook)

Type: e-book
Genre: Humor, Entertainment
Language: Hindi
Price: ₹99
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

रात की सब बात को भ ल
कर सावहल आराम र्रमा रहा था। अपने ररजल्ट के बारे में सोच कर मन को शांत कर लेता जो हुआ वह ठीक हुआ !
आज स ब ु ह सावहल जल्िी जग गया। आज िो-िो ररजल्ट आने वाले थे । एक तो B.A र्ाइनल इयर का िूसरा bpsc
का । हर ऱोज की तरर् सावहल आज कुछ करना नही चाहता था, इस वलए स ब ु ह में स ध
ा का िूध ले कर सेवई बन
कर खा वलया। जब आवमर ने उसे िेखा तब बोला –“क्या बे त म
आज खाली सेवई खा कर रहोगे क्या ? नही र
आज ररजल्ट आने वाल है न! -बोलते हुए सावहल आवमर के तरर् िेखा । आवमर वबस्तर पर सो हुए बोल रहा था ।
अच्छा आज ररजल्ट आने वाला है तो आराम करना चाहते हो सही है बेटा लगे रहो! बोलते हुए आवमर उठा फ्रेश हो
कर बाहर वनकाल गया ।
िोपहर के एक बज रहे होगे जब bpsc का ररजल्ट आया। सावहल जो कभी अल्ला का नाम नही वलया था वह आज
नमाज पढ़ कर अपना ररजल्ट िेख े जा रहा है । नजिीक के साइबरकै फ़े में जब ररजल्ट िेख तो मन उिास हो गया ।
उिास मन से रूम पर आ गया, ररजल्ट नही वनकला था । वही आवमर का िी वनकाल च क
ा था। वह ररजल्ट िेख न
अपने वकसी मवहला वमत्र के साथ स ब ु ह से गया हुआ था। उसने फ़ोन कर के सावहल को अपना ररजल्ट बताया
।उसका ररजल्ट आने से सावहल और उिास हो गाया ।
िो रूममेटे एक साथ पढ़ते हो एक का ररजल्ट आ जाये एक का नही आये तो नही आने वाले का मन थोिा उिास हो
जाता है। सावहल रूम पर लेटे हुए सोच रहा था। की कहााँ कमी होगी की ररजल्ट नही आ सका! अभी अपने कवमयों
को गीन ही रहा था की, फ़ोन की घटी बजी ... अल्लह करे विल न लगे वकसी से अल्लह करे सामने पड़े फ़ोन के
स्क्रीन पर िेख तो एकलाख का फ़ोन था। सावहल में फ़ोन उठा कर हेल्लो बोला उधर से आवाज आया – “त म
र्ाइनल इयर का ररजल्ट िेखा!”
सावहल से वधरे से बोला –“नही”
“हम त म् ु हार ररजल्ट िेख े त म
र्े ल हो गए हो” अभी इतना बोला ही था की सावहल ने फ़ोन कट कर विया और ऑर्
कर के रख विया । अब सावहल के िोनों ररजल्ट न क
ल च क
ा था। इतना गम एक साथ विल भर आय आया। कुछ िेर
तक रूम का वातावरण एक िम शांत हो च क
ा थ। सावहल अब वकस म ह ुं से अपने घर वाले को बोलता की मैं िोनों म
र्े ल हो गया ह ाँ । कुछ िेर तक अपने अपने मन में सोचते-ववचारते सो गया। शाम को जब नीि ख ल
ा तब अपना
फ़ोन को ऑन कर के कुछ िेख रह था की उतने में आवमर का फ़ोन आया उसे बात कर के फ़ोन जल्िी रख विया ।
सावहल अभी अपने वबस्तर पर सोये हुए मोबाइल चला रहा था, आज कुछ ज्यािा उिास था, एक साथ वकतने िुःख
खबरी वमल रहे थे , तभी वर्र फ़ोन की घंटी बजी अल्लाह करे विल न लगे वकसी से...अल्लह करे .. इस बार गााँव स
फ़ोन आया था, अम्मी रोते हुए सावहल को बोल रही थी की अब्ब ू को मोवतहारी सिर हस्पताल में ले कर आये है ।
िोपहर से उनका तवबयत ख़राब है त म
को वकतना कॉल वकये त म् ु हार नंबर बंि आ रह था। बोलते हुए सावहल के
अम्मी रोने लगी । अम्मी को रोता स न
कर सावहल बोला –“हम आभी चल रहे है” और फ़ोन रख विया । जल्िी स

About the Author

जब जीवन में कोई
कवठनाई आने लगे तब आपके पास पड़े सिा कागज और प ेन को उठा कर वलखने लवगए यकीं मावनये कुछ समय
के वलए आपके कष्ट िूर तो नही होंगे लेवकन मन को स क
ू न बहुत वमलेगा! विल में हमेसा से एक चाहता घ घ ु रू बन
कर मन में बजती रही की कब कोई एक ऐसा काम करू वजससे एक सौ तीस करोड़ लोगो तक पहुाँच सकू आज
जब अपनी वकताब प री
हो जाने के बाि कुछ वकस्से अपना शेयर करना चाहता ह ाँ । वकस्से वकसे ही होते है जो एक
कहानी बन कर लोगो के जेहन में बस जाते है । वह वकस्से ही होते है वजसने जोड़-जोड़ कर हम एक लम्बी कहानी
(उपन्यास) बना िेत े है । एक वकस्सा मेरे भी है वकताब वलखने से पहले का!
साल 2019 कॉलेज पास होने के बाि हर कोई का एक ही सपना होता है। नौकरी करना ऐसा नही है वक मैं वकसी
इंटरव्य ू में नही बैठा था। सब इंटरव्य ू में बैठा लेवकन वकसी को पसंि नही आया, लगतार पााँच य व ू नववसफटी प्लेसमेंट
में फ़े ल हो जाने के चलते , मन उसके साथ आत्मा िोनों अब अपने आप को इस माया भरी संसार को कोश्ते रहे की
त म
ही वनकमा हो तो कै से वमलेगा कोई नौकरी! वमलता भी क्यों,क्यों की कुछ आता ही नही है तो क्यों ले भाई म झ
खैर जो होना था । सो हुआ अब म झ
े लगा पहले चलते है घर उसके बाि कुछ इंटरव्य ू के वलए विल्ली जाना था । तो
घर गए और कुछ विन के बाि विल्ली आ गए विल्ली में काम नही बना तो ल व ु धयाना अंकल के पास चले गए । वह
िस विन रुके उसके बाि चंड़ीगढ़ गए लेवकन वह भी वही हाल रहा । नौकरी के चकर में उतरी भारत के कई शहर
को खंगालते रहे अपने वलए जगह बनाते रहे । लेवकन कोई जगह पसंि ही नही आई, आई भी तो उनके काम करन
के तरीके पसंि नही आये। थक हार वर्र विल्ली का रुख वकया। सोचा विल्ली तो विलवाले लोगो का है म झ
े अपना
लेगा।
एक विन एक कालकाजी कर के एक AD कंपनी में इंटरव्य ू के वलए ब ल
ाया गया । उस जगह पर एक १८-१९ साल
का िुबला-पतला सा लड़का बोला आप इंटरव्य ू के वलए आये है! मैं हााँ बोलते हुए हामी भर िी। कुछ एक घंटे रुकन
के बाि, वह लड़का म झ
े के एक अाँध ेरी गवलयारों से होते हुए छोटे से जगह पर ले जा कर बैठा विया। मैं उस समय
धयान से उस जगह को िेखा को ४/४ का कमरा था। कााँचन म
ा वास्त ु से प री
तरह से वसल बाहर खड़े लोग अंिर
वाले की बात नही स न
सकते! कुछ िस-बीस वमनट रुकने के बाि एक Tik-tok पर वववियो बनाने वाली मवहला,
सॉरी उन्हें मवहला कहने से मवहला जाती का अपमान होगा! वहन्िुस्तानी पररवेश की कम ही लग रही थी। वेस्टन
की ज्यािा। जैस े ही वह केवबन में िावखल हुई मैं स्कूली बच्चों की तरह थोिा सा उठा कर उनको हेल्लो बोला! वह
सामने वाली कुसी पर बैठते हुई बोली- अपना cv िो! शयि वकसी बात से ग स् ु सा थी उनका चेहरे के भाव बता रहे थ
की वकस ररक्शेवाले नही तो ठेल व े ाले से लड़ कर जरुर आई होंगी! मैं अपना cv उनके सामने रख विया! उन्होंने न
पहले म झ
े गौर से एक बार स्कै नर की तरह स्कै न वकया उसके बाि बोली-“ क्या-क्या वकये हो अभी तक? मैं थोिा
उलझन में र्ास गया अब आप कॉलेज में होते हो तो वकतन सारे वकफ वकये रहते हो! मैं भी एक-एक कर के सारी
बाते उन्हें बता विया। वह नारी कुछ िेर के वलए म झ
े स न
ती रही उसके बाि बगल में पड़े एक लाल प ेन से मेरे cv पर
स्केच बनते हुए बोला- मेरे वलए यह सब कुछ नही है! त म
इनसब को भ ल
जावो! मैं उस समय के वलए सकते में आ
गया क्लस में टीचर बोलते वजतना काम करोगे उतना आगे काम आएगा, और यह एक नजर में बोली की सब भ ल
जाओ! कुछ िेर सैलरील की नेगोवशयेशन के बाि उन्हों बोला िेखो त म
को हम अभी कुछ िेना तो नही चाहत

Book Details

Number of Pages: 85
Availability: Available for Download (e-book)

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लड़कपन वाला प्यार

लड़कपन वाला प्यार

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