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रात की सब बात को भ ल
कर सावहल आराम र्रमा रहा था। अपने ररजल्ट के बारे में सोच कर मन को शांत कर लेता जो हुआ वह ठीक हुआ !
आज स ब ु ह सावहल जल्िी जग गया। आज िो-िो ररजल्ट आने वाले थे । एक तो B.A र्ाइनल इयर का िूसरा bpsc
का । हर ऱोज की तरर् सावहल आज कुछ करना नही चाहता था, इस वलए स ब ु ह में स ध
ा का िूध ले कर सेवई बन
कर खा वलया। जब आवमर ने उसे िेखा तब बोला –“क्या बे त म
आज खाली सेवई खा कर रहोगे क्या ? नही र
आज ररजल्ट आने वाल है न! -बोलते हुए सावहल आवमर के तरर् िेखा । आवमर वबस्तर पर सो हुए बोल रहा था ।
अच्छा आज ररजल्ट आने वाला है तो आराम करना चाहते हो सही है बेटा लगे रहो! बोलते हुए आवमर उठा फ्रेश हो
कर बाहर वनकाल गया ।
िोपहर के एक बज रहे होगे जब bpsc का ररजल्ट आया। सावहल जो कभी अल्ला का नाम नही वलया था वह आज
नमाज पढ़ कर अपना ररजल्ट िेख े जा रहा है । नजिीक के साइबरकै फ़े में जब ररजल्ट िेख तो मन उिास हो गया ।
उिास मन से रूम पर आ गया, ररजल्ट नही वनकला था । वही आवमर का िी वनकाल च क
ा था। वह ररजल्ट िेख न
अपने वकसी मवहला वमत्र के साथ स ब ु ह से गया हुआ था। उसने फ़ोन कर के सावहल को अपना ररजल्ट बताया
।उसका ररजल्ट आने से सावहल और उिास हो गाया ।
िो रूममेटे एक साथ पढ़ते हो एक का ररजल्ट आ जाये एक का नही आये तो नही आने वाले का मन थोिा उिास हो
जाता है। सावहल रूम पर लेटे हुए सोच रहा था। की कहााँ कमी होगी की ररजल्ट नही आ सका! अभी अपने कवमयों
को गीन ही रहा था की, फ़ोन की घटी बजी ... अल्लह करे विल न लगे वकसी से अल्लह करे सामने पड़े फ़ोन के
स्क्रीन पर िेख तो एकलाख का फ़ोन था। सावहल में फ़ोन उठा कर हेल्लो बोला उधर से आवाज आया – “त म
र्ाइनल इयर का ररजल्ट िेखा!”
सावहल से वधरे से बोला –“नही”
“हम त म् ु हार ररजल्ट िेख े त म
र्े ल हो गए हो” अभी इतना बोला ही था की सावहल ने फ़ोन कट कर विया और ऑर्
कर के रख विया । अब सावहल के िोनों ररजल्ट न क
ल च क
ा था। इतना गम एक साथ विल भर आय आया। कुछ िेर
तक रूम का वातावरण एक िम शांत हो च क
ा थ। सावहल अब वकस म ह ुं से अपने घर वाले को बोलता की मैं िोनों म
र्े ल हो गया ह ाँ । कुछ िेर तक अपने अपने मन में सोचते-ववचारते सो गया। शाम को जब नीि ख ल
ा तब अपना
फ़ोन को ऑन कर के कुछ िेख रह था की उतने में आवमर का फ़ोन आया उसे बात कर के फ़ोन जल्िी रख विया ।
सावहल अभी अपने वबस्तर पर सोये हुए मोबाइल चला रहा था, आज कुछ ज्यािा उिास था, एक साथ वकतने िुःख
खबरी वमल रहे थे , तभी वर्र फ़ोन की घंटी बजी अल्लाह करे विल न लगे वकसी से...अल्लह करे .. इस बार गााँव स
फ़ोन आया था, अम्मी रोते हुए सावहल को बोल रही थी की अब्ब ू को मोवतहारी सिर हस्पताल में ले कर आये है ।
िोपहर से उनका तवबयत ख़राब है त म
को वकतना कॉल वकये त म् ु हार नंबर बंि आ रह था। बोलते हुए सावहल के
अम्मी रोने लगी । अम्मी को रोता स न
कर सावहल बोला –“हम आभी चल रहे है” और फ़ोन रख विया । जल्िी स
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