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खुशी हर व्यक्ति चाहता है। जीवन में कहीं-न-कहीं हम खुशियों की तलाश करते रहते हैं। जो भी करते हैं, जो भी करना चाहते हैं, उसमें अपनी खुशी तलाशते हैं। एक तरह से देखा जाए तो खुशी ही हमारे जीने का मक़सद होती है। खुशी के पल जीवन को खिलखिला देते हैं, महका देते हैं, एक नई ऊर्जा व उमंग से भर देते हैं इसलिए ऊर्जावान और प्रेरित बने रहने के लिए व्यक्ति का खुश रहना बहुत जरूरी है। मन जब खुश होता है, तब अंदर से बहुत हल्का व सहज महसूस करता है, लेकिन जब मन परेशान होता है, परेशानी की लकीरें चेहरे पर आ ही जाती है। मन में तरह-तरह के विचार आने लगते हैं, नकारात्मकता हावी होने लगती है और वह व्यक्ति अपने भविष्य के लिए चिंता करने लगता है, जबकि जब मन में खुशी होती है, मन प्रसन्न होता है तो सकारात्मकता जीवन में आती है। ऐसे समय में ही मनुष्य के विचार रचनात्मक होते हैं, वह जीवन के नए आयामों, नए परिदृश्यों की खोज करता है। आज भी हम में से ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी से खुश नहीं है, उन्हें लगता है कि उन्हें इससे भी अच्छा मिलना चाहिए था।
अगर किताब पसंद आये तो 5-स्टार देकर रिव्यु देने में संकोच ना करें।
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