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लेखक ने तत्व, चेतन और ब्रह्म को गहन विचारों के माध्यम से स्पष्ट किया है। उन्होंने अप्रत्यक्ष निराकार को समझ की सरलता हेतु प्रत्यक्ष रूप में व्यक्त करने का प्रयास किया है। लेखक का मानना है कि अनुभव सीधे प्रत्यक्ष साकार नहीं हो सकते, इसलिए उन्हें प्रतीकात्मक और व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करना आवश्यक है। इसी उद्देश्य से विभिन्न मतों और दृष्टिकोणों को सम्मानपूर्वक समाहित किया गया है। इस प्रक्रिया में अप्रत्यक्ष निराकार अनुभव की अनुभूति को शब्दों में प्रकट करने का प्रयास किया गया है। लेखक की दृष्टि यही है कि अप्रत्यक्ष ही प्रत्यक्ष का जन्मदाता है, और यही जीवन और दर्शन का वास्तविक उद्देश्य है।
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