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होली, रंगों और उल्लास का पर्व, भारतीय संस्कृति की अनूठी विरासत है। यह केवल रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि प्रेम, सद्भावना और समरसता का प्रतीक भी है। होली का रंगीन उत्साह केवल चेहरे पर रंग लगाने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह हमारे विचारों, भावनाओं और स्मृतियों को भी रंग देता है। इस अवसर पर रचनाकारों की कलम भी रंगों की तरह बहुरंगी हो जाती है, जो उनके शब्दों में नई सजीवता और ऊर्जा भर देती है।
"होली के रंग, शब्दों के संग" नामक यह संकलन ऐसे ही विविध भावनाओं, अनुभूतियों और विचारों का संगम है। इसमें संकलित रचनाएँ न केवल होली के पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती हैं, बल्कि आधुनिक संदर्भों में इस पर्व की प्रासंगिकता को भी उजागर करती हैं। प्रत्येक शब्द में होली की उमंग झलकती है, प्रत्येक पंक्ति में रंगों की चमक बसी हुई है।
इस पुस्तक का संकलन संजू बंसल द्वारा किया गया है, जो...
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