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देवी सुगर्भा रचित गर्भशास्त्र के अनुसार एक माँ अपने बेटे की पत्नी बनकर संसार में रहकर भी दिव्य कामसुख प्राप्त कर सकती है, लेकिन इस दिव्य विवाह की कुछ शर्तें भी हैं और विवाह के बाद भी गृहस्थ जीवन के कुछ खास नियम भी हैं। गर्भशास्त्र के अनुसार पुत्र की पत्नी बनकर ही एक औरत संपूर्ण होती है और कामसुख के सातवें आयाम तक पहुँच सकती है जहाँ तक स्वर्ग की अप्सराएं भी नहीं पहुँच सकती।
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