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"नोश-ए-जान" शीर्षक के तहत मेरा पहला ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो रहा है। अपना परिचय ख़ुद मुझे ही देना होगा इसलिए कि मैं 'मुरीद' हूँ पर मेरा कोई उस्ताद नही है।
उस्ताद होता तो एक ही होता
एक वो नही है इसलिए कई हैं
मैंने जो भी सिखा है उस्तादों के कलाम पढ़कर सिखा है। उर्दू भाषा मेरी मातृभाषा नही है इसलिए आज भी नयी है। मेरी की शाइ' री में व्याकरण, बहर की त्रुटीयाँ होना बिलकुल संभव है, इसलिए मैं आपसे पहले ही माफ़ी माँगता हूँ।
माना मेरी ग़ज़ल को इस्लाह नही
क्या ठहर जाए आगे अगर राह नही
मेरी शाइ'री के बारे में सिर्फ़ इतना ही कहूँगा मेरे अशआर सच्चे है, अच्छे हैं या नही वो तो आप ही बताएँग़े। हर ज़िंदा इंसान शाइ'र ही होता है फ़र्क बस इतना है कोई लिख पाता है कोई लिख नही पाता। जब तक सीने में दिल है, दिल में ज़ज्बात है तब तक दुनिया में शाइ'री रहेगी।
मेरे इस सफ़र में अबतक मैं अकेला हूँ, आप कुछ कदम मेरे साथ चल सको तो सफ़र और भी अच्छा होगा।
मुलाहिज़ा फ़रमाए ...
Amazing ghazals
Just loved the book,The ghazals touch the cord of your heart as could relate with the emotions the poet has penned.
This is Santosh Gaikwad's first book, but seems like he has lot in store. I am looking forward to read more of his ghazals.