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1857 की क्रांति को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है। क्योंकि संभवतः इतने बड़े स्तर पर इससे पहले कभी कोई विद्रोह नहीं हुआ था। अंग्रेजों के भारत आगमन के बाद से ही उन्हें देश भक्त स्वतंत्रता के प्रिय भारतीयों से सशस्त्र विरोध का सामना करना पड़ रहा था। किन्तु यह विद्रोह एक विशेष क्षेत्र तक ही सीमित था। ऐसी ही एक अवधारणा यह है कि इस क्रांति की शुरुआत मंगल पाण्डेय के द्वारा अंग्रेजों के विरोध से शुरू हुई। इसके पीछे अंग्रेजों द्वारा गोलियों में सूअर और गाय की चर्बी का शामिल होना था। यह धारणा अर्द्ध-सत्य है। इस विद्रोह की योजना बहुत पहले ही देशभक्त भारतीयों ने बनानी शुरू कर दी थी। इसके पीछे देश को अंग्रेजों से मुक्त कराना था। दो अन्य कारणों ने भी इस आंदोलन में प्रेरक की भूमिका निभाई। यह पुस्तक इन्हीं कारणों से होती हुई इस क्रांति के परिणाम तक को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करती है।
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