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रूह की स्याही एक ऐसी पुस्तक है जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक विषयों का गहन वर्णन किया गया है।
यह केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि समाज का दर्पण है-जो हर व्यक्ति को प्रकृति से जुड़ने और समाज में सामंजस्य बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
आजकल लोग धीरे-धीरे प्राकृतिक सौंदर्य से दूर होते जा रहे हैं। जंगलों का विनाश हो रहा है, और अगर हमने समय रहते प्रकृति की चिंता नहीं की, तो आने वाली पीढ़ियों को जंगल केवल किताबों और कहानियों में ही मिलेंगे।
इसलिए, हम सभी का कर्तव्य है कि जंगलों और पर्यावरण को बचाने का भरपूर प्रयास करें।
साथ ही, समाज में जाति और धर्म के नाम पर बढ़ती नफरत एक गहरी चिंता का विषय बनती जा रही है।
लोग आपस में बँट रहे हैं, लड़ रहे हैं-जबकि सच्चाई यह है कि मानवता किसी भी धर्म और जाति से ऊपर है।
हमें आगे आकर इस नफरत को रोकना होगा और आपसी प्रेम, भाईचारे और एकता को बढ़ावा देना होगा।
'रूह की स्याही' ऐसे ही विचारों को उजागर करती है और पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है कि
क्या हम सच में सही दिशा में जा रहे हैं?
- सत्येंद्र मौर्य "एसटीडी "
बहुत ही सुन्दर किताब हैं इस किताब से बहुत कुछ सीखने को मिलती हैं
मैं इस किताब को जब से पढ़ा हूँ तब से प्राकृतिक से बहुत प्रेम करने लगा हूँ।