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कल दिनांक २४/०३/२०२० रात्रि ८ बजे, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के संक्रमण के भय के चलते
२१ दिवसीय देशव्यापी सम्पूर्ण LOCK DOWN की घोषणा कर दी।
सारी रात व्याकुलता से बीता। इस व्याकुलता के कई कारण थे।पर राष्ट्रीय,सामाजिक एवं मानवीय कारणों से परे मेरा एक व्यक्तिगत कारण भी था ।मेरी अतिप्रिय भांजी की शादी दिनांक १३ मार्च २०२० को देहरादून में होनी थी ।मौजूदा परिस्तिथिओं में इस शादी का किसी अन्य दिवस के लिए टलना अनिवार्य सा प्रतीत हो रहा है।
मन बोझिल है पर ध्यान बंटाने के लिए अपनी यह १४वीं काव्य पुस्तिका के प्रस्तुतीकरण की सूझी ।
पुस्तिका में सम्मिलित कवितायेँ तो ६ माह पहले ही लिखी जा चुकी थीं।
सोचा था पूजा को उसकी शादी के दिन भेंट करूंगा।
अब संभवतः एक या दो माह तक ये सुअवसर मिल पायेगा।
कोई बात नहीं पूजा,मेरी ये काव्य पुस्तिका ,जिसका शीर्षक "झंकार" है,आपको आपकी शादी के शुभदिन पर अवश्य भेंट करूँगा।
"झंकार" मेरा तेरहँवा काव्य संकलन है।
आशा करता हूं कि हमेशा की भांति , इस बार भी मेरे इस प्रयास को आपकी सराहना मिलेगी ।
झनक झनक झन, झनक झनक झन, झनक झनक झंकार।
कविता उत्तम हो यदि,तो मिले बहुत सत्कार।
ये उत्तम कविता क्या है, ये उत्तम कविता क्या है?
कैसी ये होती है?
कविता तो कविता ही है पर उत्तम तब होती है,
जनमानस को छू जाये,झंकार झंझोति है।
उत्तम कविता तो वो है जो उज्जवल करे विचार।
झनक झनक झन, झनक झनक झन, झनक झनक झंकार।
उत्तम कविता छू जाती है दिल की तारों को।
इक नशा सा दे जाती है,पाठन करने वारों को।
वो कविता, कविता नहीं है,जो तार ना दिल के हिलाये।
वो भी क्या उत्तम कविता,जो झंकार ना दिलों में उठाये।
हो नहीं सकता उत्तम कविता को ,न मिले श्रोता का प्यार।
झनक झनक झन, झनक झनक झन, झनक झनक झंकार।
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