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और आंखें बह चली (प्रेम सागर)
T. Singh
हर इंसान जीवन में कभी ना कभी प्यार के एहसास को जरूर महसूस करता है! कोई अपने प्यार को पा कर जीवन को अपने जीवनसाथी के साथ ख़ुशी ख़ुशी जी लेता है, कोई प्यार में असफल हो जाने पर, रिश्ता टूट जाने पर, प्यार की यादों के सहारे आंसू बहाकर जीवन जीने की कोशिश करता है पर जीवन में फिर एक बार कभी ना कभी प्यार पा लेता है, पर कोई ऐसा भी होता है जो जीवन की अंतिम साँस तक अपने खोये प्यार के इंतजार में गम में डूबा रहता है।
बहुत ही अजीब हैं इस प्यार के खेल! प्यार का एक व्यक्ति का निजी अनुभव किसी भी दूसरे व्यक्ति के प्यार के अनुभव के जैसा नहीं हो सकता है, क्योंकि प्यार की कोई एक सर्वमान्य परिभाषा नहीं है। हर व्यक्ति का अपना अलग अलग अनुभव होता है।
हमारी इन कहानियों में आप प्यार के ऐसे पक्ष देखेंगे जो शायद अपने कभी कल्पना में भी ना सोचे हों! हमारी ये कहानियां आपको एक दूसरी ही दुनिया में ले जाएंगी! तो आइये, चलिए हमारे साथ इस प्रेम सागर में डुबकी लगाने के लिए!
शुभकामना
Table of Content
और आंखें बह चली (प्रेम सागर)
Copyright
Table of Content
दो शब्द
ज़न्नत प्यार की
डिब्बे में चिट्ठियाँ
उनके बीच
ज़िन्दगी सपना ही थी
उत्तर नहीं मिले
आंसू तो बहने ही थे
गुप्त रिश्ता
दगाबाज़
सन्देश जो कभी भेजा नहीं
इतना प्यार भी होता है
वो एक दिन
फिर से शुरू करें
छोटी सी कहानी
खुद करोगी या मैं करूँ
ख़ुशी आगे है
वो फिर नहीं मिले
बारह वर्षों के बाद
और घंटियां बजने लगी
प्यारी पत्नी
भला इंसान
वो शाम
कल्पना की उड़ान
कुछ चीजें खोनी नहीं चाहिए
प्यार का जादू
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