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पुस्तक "भक्तिमयी महासती रानाबाई हरनावां" में रानाबाई की बचपन से लेकर समाधि लेने तक की जीवन गाथाओं को प्रमाणित किया गया है। इसके अनुसार रानाबाई के पूर्वज जैसलमेर की और से आये।इनका गोत्र धुन था। रानाबाई मीराबाई के समकाल थी। एक समय ऐसा था जब दोनों ही वृन्दावन में थी एवं दोनों ने भगवान श्री कृष्ण का साक्षात्कार किया। भगवान् श्री कृष्ण ने दोनों को अपनी उपस्थिति निरंतर बनाये रखने का आश्वस्त करते हुए दोनों को अपनी एक एक मूर्ति दी।
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