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आध्यात्मिक खोज़ तब शुरु होती है जब आप ‘जो हो रहा है या जो आपको परेशान कर रहा है’, उसका कोई संतुष्टिपूर्ण, तर्कसंगत या बुद्धिसंगत हल या व्याख्या नहीं ढ़ूंढ पाते हो।
मन दुख और विवशता के विरोध में ही संतुष्टि, प्रसन्नता का अनुभव कर सकता है। यह मन का बंधन है, प्रोग्राम है। मन इस भ्रम में आ जाता है जैसे कि संतुष्टि या प्रसन्नता ठहर जाएगी या ठहर सकती है।
इस बंधन का ध्यान में आना आपको स्वचालित मूल तक ले जाता है।
https://youtu.be/8qyOrtxMQUE
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