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क्या हर बच्चा सिर्फ एक छात्र है—या एक जन्मजात राष्ट्र निर्माता?
यह किताब आपको झकझोर देगी, सोचने पर मजबूर करेगी और आपके भीतर छिपे भारत को जगाएगी।
यह पुस्तक बताती है कि—
हर बच्चा सिर्फ "अंक लाने वाली मशीन" नहीं, बल्कि एक नेता, वैज्ञानिक, कलाकार और समाधान है।
माता-पिता को आदेशक नहीं, प्रेरक बनना होगा।
शिक्षा का असली मकसद नौकरी नहीं, राष्ट्र निर्माण होना चाहिए।
युवाओं को सिर्फ करियर नहीं, योगदान की ओर बढ़ना होगा।
यह किताब किनके लिए है?
माता-पिता जो चाहते हैं कि उनका बच्चा सिर्फ पढ़ा-लिखा नहीं, आत्मनिर्भर बने।
शिक्षक जो शिक्षा को नौकरी की तैयारी नहीं, राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया मानते हैं।
युवा जो खुद से पूछते हैं—“क्या मैं सिर्फ अपने लिए जी रहा हूँ?”
और हर भारतीय जो भारत को सिर्फ विकसित नहीं, विश्वगुरु बनाना चाहता है।
“जन्म से राष्ट्र निर्माता” सिर्फ एक किताब नहीं, एक आंदोलन है। अगर आप इसे सिर्फ पढ़ेंगे नहीं बल्कि जिएँगे—तो बदलाव निश्चित होगा।
हर माता-पिता और युवा के लिए ज़रूरी किताब
जन्म से राष्ट्र निर्माता” is not just a book—it feels like a manifesto for India’s future. It’s inspiring, practical, and has the power to ignite a sense of responsibility in young minds and parents alike.
I believe if this book reaches schools, parents, and youth groups, it can create a movement. It has the potential to become a guiding text for India’s next generation.