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यह पुस्तक सिद्धांत से नहीं, बल्कि जीवन्त अनुभव से जन्मी है। यह दिव्य कृपा की साक्षी है जिसने मुझे परीक्षाओं, हानि, दर्शनों, जागरण और अनगिनत प्रेम के क्षणों से आगे बढ़ाया। मैंने कभी स्वयं को लेखक नहीं समझा, केवल एक साधक—जो खोज रहा है, ठोकर खा रहा है, सीख रहा है और समर्पित हो रहा है। परंतु जीवन का ढंग यही है कि वह हमारे दर्द को भी उद्देश्य में बदल देता है।
रेकी, ध्यान, जप, मेरे प्रिय गुरुओं की उपस्थिति और माँ काली के प्रचंड किंतु करुणामयी प्रेम के माध्यम से मुझे ऐसे पथ पर ले जाया गया जिसने बार-बार मुझे तोड़ा और फिर से गढ़ा। मैं अग्नि की राख से उठे फीनिक्स की तरह बार-बार पुनर्जन्मी हुई। हर कदम पर मुझे अहसास हुआ कि यह यात्रा केवल मेरी नहीं है—यह उन सभी के साथ प्रकाश बाँटने की है जो मेरे साथ चल रहे हैं।
यह पुस्तक अध्यात्म : एक पुनर्जन्म – शिव शक्ति का मिलन मेरा अर्पण है। यह हर उस आत्मा के लिए है जिसने संघर्ष किया, हर उस हृदय के लिए जो टूटा, और हर उस साधक के लिए जो अपने जीवन में दिव्यता का स्पर्श पाना चाहता है। ये शब्द केवल मेरे नहीं हैं; इन्हें बाबा की कृपा ने फुसफुसाया है, माँ की श्वास पर वहन किया है, और उस असीम प्रेम की नदी से बुना है जो हम सभी में बह रही है।
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