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निर्भय जीवन

दिव्य चेतना और निर्भयता का अद्भुत संतुलन
Gajendra Singh Rathore
Type: Print Book
Genre: Self-Improvement
Language: Hindi
Price: ₹369 + shipping
This book ships within India only.
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Description

भय जीवन का अंत नहीं, एक आमंत्रण है, अपने भीतर जागी उस चेतना तक पहुँचने का, जो अब तक शोर के पीछे छिपी रही। हम सबने कभी न कभी उस मौन तूफ़ान को महसूस किया है जो विचारों की दौड़, स्मृतियों के बोझ और भविष्य को नियंत्रित करने की बेचैनी से उठता है। समस्या भय में नहीं, उससे भागने की आदत में है। जैसे ही हम रुककर उसे समझना सीखते हैं, वही ऊर्जा दिशाबोध बन जाती है, मन शिथिल होता है, श्वास गहरी होती है, और भीतर एक अनकहा विश्वास जन्म लेता है।

“निर्भय जीवन” भय से युद्ध की नहीं, रूपांतरण की पुस्तक है। यह दिखाती है कि विचार, स्मृति और कल्पना किस तरह भय का आकार बनाते हैं; मस्तिष्क की रसायनिकी जागरूकता, ध्यान और साक्षीभाव से कैसे बदलती है; और नियंत्रण तथा स्थायित्व की जिद किस तरह पीड़ा का बीज बोती है। पाठक धीरे-धीरे समझता है कि परिवर्तन जीवन का धर्म है, समर्पण पराजय नहीं बुद्धिमत्ता है, और उत्सव भागना नहीं, उसी जीवन के साथ चलना है जो निरंतर नया हो रहा है। जब यह दृष्टि भीतर उतरती है, भय प्रेम में, प्रतिरोध समर्पण में, और पीड़ा करुणा में बदलने लगती है। तब जीवन कोई परीक्षा नहीं रह जाता; वह एक जीवंत अनुभव बन जाता है जिसमें आत्मविश्वास, आनंद और दिव्य चेतना स्वाभाविक रूप से प्रवाहित होते हैं।

यदि आप आगे बढ़ना चाहते हैं पर मन बार-बार पीछे खींच लेता है, यदि आप जीना चाहते हैं पर भीतर की आशंकाएँ रास्ता रोक लेती हैं, तो यह पुस्तक आपका सच्चा सहचर है। इन पृष्ठों के साथ चलते-चलते आप पाएँगे कि निर्भयता भय के अभाव से नहीं, उसके बीच जागे रहने की कृपा से जन्म लेती है; और यहीं से शुरू होता है वह जीवन, जो हर क्षण को प्रेम, शांति और उत्सव में बदल देता है।

About the Author

गजेन्द्र सिंह राठौड़
एक साधक, चिंतनशील लेखक और जीवन के गहरे अनुभवों को शब्दों में पिरोने वाले अन्वेषी। लगभग तीन दशकों तक जिम्मेदारियों, उपलब्धियों और दबावों से भरी जीवन-यात्रा ने उन्हें भय, चिंता और आत्म-संघर्ष की सच्चाई से परिचित कराया। ध्यान, योग और आंतरिक निरीक्षण के माध्यम से जब मन में मौन खिलने लगा, तभी भीतर से ज्ञान उभरने लगा, स्वाभाविक, सरल और अनुभव की मिट्टी से जन्मा हुआ।

आध्यात्मिक ज्ञान और व्यावहारिक जीवन के संगम पर खड़े होकर, वे मनुष्य के भीतर छिपी उस शक्ति को जगाने के लिए लिखते हैं जो भय के पार शांति, प्रेम और निर्भयता में श्वास लेती है। उनकी लेखनी का उद्देश्य यही है, कि हर व्यक्ति अपने भीतर उस दिव्य चेतना को पहचान सके जो जीवन को संघर्ष नहीं, उत्सव बनाती है।

“निर्भय जीवन” उनकी इस आंतरिक यात्रा का सार है, जो यह दर्शाती है कि भय कोई दीवार नहीं, बल्कि द्वार है, जागने, बदलने और स्वयं को जानने का द्वार।

Book Details

ISBN: 9789334455274
Publisher: Self publish
Number of Pages: 178
Dimensions: 6"x9"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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