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गजेन्द्र ठाकुर- स॒हस्र॑ शीर्षा॒
ए.एम. रत्नम, एस.शंकर आ कमल हसन लेल, जिनकर हिन्दुस्तानी (भारतीयुडु, इण्डियन) हमरा अपन पिताक स्मरण करबैत रहैत अछि।
स॒हस्र॑ शीर्षा॒
हजार माथ, हजार मुँह, हजार तरहक गप-खिस्सा, सत्य आ …|
सहस्रशीर्षा पुरुष: सहस्राक्ष:सहस्रपात्। सभूमिग्वंसर्वतस्पृत्वात्यतिष्ठद्दशांगुलम्॥...
हजार माथ, हजार आँखि, हजार पएर संग विश्वकेँ आच्छादित केने अछि, दस आंगुरक गनतीक वशमे नै अछि ओ।
… पद्भ्यांशूद्रो अजायत|| ..पद्भ्यां भूमिर्दिशः ...||
पएरसँ शूद्रक उत्पत्ति भेल…. मुदा पएरेसँ भूमियोक उत्पत्ति….
कल्लोल १-३४
पहिल कल्लोल-गढ़ नारिकेल- महिसबार ब्राह्मणक गाम (पृ. ५-३९)
दोसर कल्लोल-की बन्है छी? पुरबा-पछबा। (पृ. ४०-५५)
तेसर कल्लोल-कतेक जना हरिवासर ठानल/ भात बहुत कै सपना (पृ. ५६-६८)
चारिम कल्लोल-विश्वकर्माक रखबाड़िमे इन्द्र लग अमृत (पृ. ६९-८१)
पाँचम कल्लोल-बो-बो (पृ. ८२-८८)
छअम कल्लोल-छुच्छो हाथ भैया अबितथि बैसितथि माड़ब चढ़ि रे/ ललना अपने सड़िया पहिरतौं भैया नाम लितौं रे (पृ. ८९-९४)
सातम कल्लोल-धुन-धुन धुन-धुन बोलै चरखा, डर लागै घमासान हो (पृ. ९५-९८)
आठम कल्लोल-आजु धीया कोना अमा बिनु रहती/ छन-छन उठति चेहाय (पृ. ९९-११२)
नौम कल्लोल-मुँह चन्द्रसन, आँखि कमल सन,...
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