Ratings & Reviews

Madhoshiya

Madhoshiya

(5.00 out of 5)

Review This Book

Write your thoughts about this book.

2 Customer Reviews

Showing 2 out of 2
madhuhkl 8 years, 9 months ago

मदहोशियां

एक सफ़ल काव्य संग्रह, पूर्णतयः नियोजित, अत्युत्तम भावभिव्यक्ति, सामाजिक त्रुटियों को उजागर करने एवं समाजसुधार के प्रयास की दृष्टि से "मदहोशियां" एक सफ़ल अभियान है।

सभी गज़लें, नज़में, कविताएं सराहनीय हैं, विशेषतयः सवालिया निशान, मुस्कान मेरे नन्हे शौर्य की, खून का रिश्ता, एक अभिशाप (विधवा विवाह पर), एक और अभिशाप (सती प्रथा पर), दामिनी के मुजरिमों की सज़ा एवं कारण दामिनी की मृत्यु का (सामाजिक कुकर्मों पर), मुम्बई ब्लास्ट्स, काला चश्मा एवं काला हाशिया (आतंकवाद पर) ज़मीन पे फ़िरदौस, हमारा प्यार एवं माशरा (समाज सुधार पर) अति मार्मिक एवं दिल को छूने वाली हैं।

graphikamaal 8 years, 10 months ago

Re: Madhoshiya

I havent read the book yet but had the privilege to personally hear it live from him while I lived in Sharjah. I recommend this book to all HIndi/Urdu poetry lovers.