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In this book, “देवदूत – 3”
“देवदूत और आयाम”
“समय की गति को कोई रोक नहीं सकता। और ना ही परिवर्तित कर सकता है। परंतु कुछ ऐसे आयाम हैं, जिनमें जाकर, समय को पुनः परिवर्तित किया जा सकता है। भूतकाल को वर्तमान में और वर्तमान को भविष्य काल में बदला जा सकता है। देवदूत की यात्रा इन्हीं संभावनाओं पर थी। वो भूतकाल को पुनः वर्तमान में परिवर्तित करके, ब्रह्मांड के रक्षकों को जीवित करने के लिए समय यात्रा पर चल पड़ा। कारण था भविष्य में आने वाला संकट! परंतु क्या देवदूत अपनी समय यात्रा में सफल हो सका? अथवा विफल?”
“देवदूत और आयाम”
It's a series of three books, it's a third and last part.
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