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किसी निजी संसथान तथा सरकारी संस्थान में प्रवेश करते ही हमें कार्य वातावरण, क्षमता, गति, गुणवत्ता, उर्जा, तथा सबसे ऊपर वहां के कर्मचारियों के चेहरे के तेज में अंतर दृष्टिगोचर होता है. क्या आप जानते हैं वही व्यक्ति अलग-अलग संस्थानों में अलग-अलग प्रकार से कार्य प्रदर्शन क्यों करता है? सरकारी प्रतिष्टानों के कर्मचारी अपनी कार्य क्षमता से कार्य क्यों नहीं कर पाते? यह पुस्तक वहां के मानव संसाधन प्रबंध से सम्बंधित कमियां तथा उनका समाधान निकलने का एक प्रयास है.
Re: कर्मचारी सबसे बड़ी पूंजी
यह पुस्तक, अंग्रेजी पुस्तक "To BE or not to BE" (by Hem Chandra Kukreti) का हिंदी रूपांतरण है.