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साहेबगंज (झारखण्ड) के ‘दियारों’ (गंगा नदी पर रेत के जमने से बनने वाले छोटे-बड़े टापुओं) की पृष्ठभूमि पर आधारित एक बँगला लघु उपन्यास (1956) का हिन्दी अनुवाद।
मृणाल सेन ने इस उपन्यास पर हिन्दी फिल्म (1969) भी बनायी थी।
लेखक हैं- सुप्रसिद्ध बँगला कथाकार ”बनफूल“ और हिन्दी अनुवाद जयदीप शेखर द्वारा किया गया है।
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