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यह घोषणापत्र देश की प्रायः सभी समस्याओं का विन्दुवार (To the Point) समाधान सुझाता है और समग्र रूप से खुशहाल, स्वावलम्बी और शक्तिशाली भारत के निर्माण का खाका (Blueprint) प्रस्तुत करता है।
इसके लिए देश में 10 वर्षों के लिए एक नये प्रकार की शासन-प्रणाली कायम करनी होगी, जिसका नाम ‘भारतीय राष्ट्रीय सरकार’ रखा जा रहा है।
आम तौर पर यह माना जाता है कि भारतीय कौम एक मुर्दा कौम है, ज्यादातर भारतीय लकीर के फकीर होते हैं, बनी-बनायी लीक से हटकर कुछ नया सोचना पाप समझते हैं और किसी बड़े परिवर्तन के लिए वे जल्दी राजी नहीं होते हैं, लेकिन चूँकि इसी देश में नेताजी सुभाष और भगत सिंह-जैसे क्रान्तिकारी भी पैदा होते हैं, इसलिए यह आशा की जा सकती है कि भारतीय नागरिकों व सैनिकों के बीच 2-4 प्रतिशत ऐसे लोग जरूर मौजूद हैं, जो जागरूक हैं, देश के वर्तमान एवं भविष्य को लेकर सोच-विचार करते हैं और जो यह मानते हैं कि देश की व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है।
यही 2-4 प्रतिशत नागरिक व सैनिक अगर चाह लें, तो 10 वर्षों के लिए उपर्युक्त शासन-प्रणाली को कायम करने का रास्ता निकाला जा सकता है— कुछ उसी तरह, जैसे बर्फ के पिघलने के बाद पानी अपना रास्ता स्वयं खोज लेता है।
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